प्रारंभिक स्थिति :
पीठ के बल लेटना।

ध्यान दें :
पेट की श्वास पर।

श्वास :
यहां पर श्वास सामान्य से अधिक शिथिल और गहरा होता है।

दोहराना :
दस श्वास।

अभ्यास :
पीठ के बल आराम से लेट जाएं और हाथों को पेट पर रख लें। > ज्यों-ज्यों शिथिलता गहरी होती है त्यों-त्यों इस बात का ध्यान रखें कि श्वास आहिस्ता-आहिस्ता कैसे कम से कम गति प्राप्त करता है, खासतौर से श्वास बाहर निकलते समय। > हाथों को फिर से शरीर के साथ रखें और सामान्य श्वास को देखें।

लाभ :
पेट से श्वास लेने के सचेत अभ्यास को बढ़ाता है जिससे शारीरिक और मानसिक तनावहीनता प्राप्त होती है। यह संपूर्ण शरीर में रक्त संचार को भी सुधारता है और पाचन क्रिया को बढ़ाता है।