प्रारंभिक स्थिति :
खड़े रहें।

ध्यान दें :
कंधों और छाती पर।

श्वास :
शारीरिक क्रिया के साथ समन्वित।

दोहराना :
10 बार।

अभ्यास :
टांगें चौड़ी कर खड़े रहें। पीठ सीधी और तनावहीन है।> पूरक करते हुए सीधे हाथों को पार्श्व में कंधों की ऊंचाई तक उठायें। > रेचक करते हुए बाजुओं को सिर के ऊपर से आड़ा-तिरछा (क्रॉस) में रखें। > पूरक करते हुए बाजुओं को कंधे की ऊंचाई पर नीचे लायें। > रेचक करते हुए बाजुओं को पार्श्व में ले जायें, प्रारंभिक स्थिति में आ जायें।

लाभ :
उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक है जो बैठने की एक ही स्थिति में अधिक समय तक काम करते हैं। यह आसन कंधों को आराम देता है। छाती की मांसपेशियों को फैलाता है और पीठ को मजबूत करता है। यह गहरी श्वास को, विशेष रूप से छाती के पार्श्व में, प्रोत्साहित करता है। यह मन को शान्त और संतुलित रखता है।

आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
फेंफड़ों को मजबूत व श्वास को गहरा करने के लिये आसन और व्यायाम
कंधों के आराम व उनकी गतिशीलता बढ़ाने हेतु आसन और व्यायाम
स्नायु तंत्र को शांत एवं संतुलित करने के लिए आसन और व्यायाम