प्रारंभिक स्थिति :
सुविधाजनक, सीधे तनकर बैठने की स्थिति।

ध्यान दें :
श्वास की प्रक्रिया पर।

दोहराना :
बायें नथूने के साथ प्रारम्भ करते हुए 20 चक्र और दायें (नथुने) के साथ शुरू करते हुए 20 चक्र।

अभ्यास :
आप अपनी सामान्य श्वास पर 3-5 मिनट के लिए ध्यान दें। पूरी सुविधा के साथ बैठ जायें। रीढ़ सीधी तनी हुई रहे, फिर दायां हाथ प्राणायाम मुद्रा के लिए उठायें। > दायें नथुने को अंगूठे से बन्द करें और बायें नथुने से सामान्य से थोड़ा गहरा सांस लें। दायां नथुना खोल दें। > इसी समय बायें नथुने को अनामिका से बन्द करें। धीरे-धीरे व आराम से दायें नथुने से रेचक करें। > अदल-बदल कर श्वास लेने की इस प्रक्रिया के 20 चक्र पूरे करें। > हाथ को घुटने पर वापस ले आयें और सामान्य श्वास पर 2-3 मिनट ध्यान एकाग्र करें। > पुन: दायें हाथ को प्राणायाम मुद्रा के लिए उठायें। बायें नथूने को दाहिने हाथ की अनामिका से बंद करें और दायें नथूने से गहरा पूरक करें।> बायें नथुने को खोल दें, इसी समय दायें नथुने को अंगूठे से बन्द करें। धीरे-धीरे बायें नथुने से रेचक करें। > अदल-बदल कर श्वास लेने की इस प्रक्रिया के 20 चक्र पूरे करें। > हाथ को घुटने पर वापस ले जायें और सामान्य श्वास पर 3-5 मिनट के लिए चित्त एकाग्र करें।

लाभ :
नाड़ी शोधन प्राणयाम रक्त और श्वासतंत्र को शुद्ध करता है। गहरा श्वास रक्त को ऑक्सीजन (प्राणवायु) से भर देता है। यह प्राणायाम श्वास प्रणाली को शक्ति प्रदान करता है और स्नायुतंत्र को संतुलित रखता है। यह चिन्ताओं और सिर दर्द को दूर करने में सहायता करता है।