प्रारंभिक स्थिति :
वज्रासन।

ध्यान दें :
खिंची हुई अवस्था में श्वास पर।

श्वास :
हल्का गहरा पूरक और रेचक करते हुए।

दोहराना :
3 बार।

अभ्यास :
वज्रासन में बैठें, घुटने और एडिया कुछ-कुछ दूरी पर,अंगूठे परस्पर स्पर्श करेंगे। हाथों को शरीर के पीछे ले जाकर अँगुलियों को पीछे की ओर इंगित करते हुए, ऊपरी शरीर को थोड़ा पीछे झुका लें। सिर को भी पीछे की ओर लटकने दें। > आराम कर लें और फिर नाक से गहरी श्वास लें। इस स्थिति में लगभग आधा मिनट रहें। फिर प्रारम्भिक स्थिति में आ जाएं।

लाभ :
यह आसन गर्दन को आराम देता है और सिर में रक्त-संचार बढ़ाता है। यह व्यायाम गले की मांसपेशियों में खिंचाव लाता है और अवटु-ग्रंथि (टेंटुआ थायराइड) को मजबूत बनाता है। रीढ़ का विस्तार करता है। श्वास गहरी हो जाती है, विशेष रूप से छाती के आगे के भाग की। इस अभ्यास का प्राय: शान्तिदायक प्रभाव होता है।

सावधानी :
यदि टखने या घुटने के जोड़ों में, ग्रीवा-रीढ़ में कोई समस्या हो या चक्कर आते हों तो इस व्यायाम को नहीं करना चाहिए।

आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
गर्दन और थॉयरायड (टेंटुए) ग्रंथि हेतु आसन और व्यायाम
थायरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करने के लिये आसन और व्यायाम