ध्यान दें :
पेट और पीठ की मांसपेशियों पर।

श्वास :
शारीरिक क्रिया के साथ समन्वित।

प्रारम्भिक स्थिति :
टांगें सीधी करके बैठें।

दोहराना :
3 बार (चक्र)।

अभ्यास :
टांगें सीधी करके बैठें। हाथ जांघों पर रखें। शरीर सीधा और तनावहीन है। > गहरी श्वास लें। > रेचक करते हुए घुटनों को मोड़ें और पैरों के तलवों को फर्श पर रख दें। बाजुओं को कंधे के स्तर तक उठायें हाथों को सामने परस्पर जकड़ लें। > पूरक करते हुए शरीर को पीछे झुकायें। बाजुओं को सीधा रखें। इसी समय पैरों को सीधा करें और उनको फर्श से 40 सेमी. ऊपर उठायें। अंगुलियां ऊपर की तरफ रहेंगी, पीठ सीधी रहेगी। > रेचक करते हुए टांगों को मोड़ें और पैरों के तलवों को फर्श पर रख दें। इसी के साथ-साथ धड़ और बाजुओं को आगे की ओर लायें।

10 बार टांगों को मोडऩा और सीधा करना एक चक्र होता है। हर चक्र के बाद प्रारम्भिक स्थिति में लौट आयें।

लाभ :
शरीर का पूरा स्वास्थ्य सुधारता है और पीठ, पेट और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह घुटनों के जोड़ों में गतिशीलता लाता है, अच्छी मुद्रा को बनाये रखने में शक्ति देता है और पीठ की समस्याओं को रोकता है। ध्यान मुद्रा के लिए तैयारी में सहायक होता है।

सावधानी :
रजस्वला होने पर या गर्भ-धारणावस्था की अवधि ज्यादा हो जाने पर इस व्यायाम का अभ्यास न करें।

आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
पेट की नाडिय़ों को सक्रिय बनाने के लिए आसन और व्यायाम
घुटने के जोड़ों की गतिशीलता को बढ़ाने हेतु आसन और व्यायाम
पूरे शरीर को सक्रिय करने के लिए आसन और व्यायाम