प्रारंभिक स्थिति :
पीठ के बल लेटें।

ध्यान दें :
श्वास के साथ शारीरिक क्रिया के समन्वय पर।

श्वास :
शारीरिक क्रिया के साथ समन्वित।

दोहराना :
3 बार।

अभ्यास :
पीठ के बल लेटे हुए आँखें मूँद कर आराम करें अपना ध्यान श्वास के ऊपर दें। > पूरक करते हुए बाजुओं को सिर के ऊपर से इतना उठायें कि वे फर्श को छू लें।> रेचक करते हुए बाजुओं को शरीर के साथ ले आयें।

लाभ :
यह आसन शरीर और मन को तनावहीन करता है और गहन श्वास प्रदान करता है। यह शरीर और श्वास और उनके एक दूसरे पर प्रभाव के प्रति जागरूकता को बढ़ाता है।