"अपने कर्तव्य पर ध्यान लगाओ, फलों पर नहीं। कर्म करते जाओ फल की इच्छा मत करो। "

हठ का अर्थ है इच्छा-शक्ति, और यहां इसका तात्पर्य इच्छा-शक्ति और ऊर्जा का प्रयोग कर अनुशासित अभ्यास एवं आचरण से है।

हठ योग अभ्यास आन्तरिक एवं बाह्य शुद्धिकरण का पथ है। इस प्रकार पारम्परिक चार योग पथों के अतिरिक्त यह पथ भी है। इन व्यायामों के नियमित अभ्यास के लिए इच्छा-शक्ति और अनुशासन की आवश्यकता होती है इसीलिए यह पथ हठ-योग कहलाता है।

ह-ठ, का अर्थ सूर्य और चन्द्रमा भी है। इसका भावार्थ सूर्य और चन्द्रमा के सिद्धांतों की एकता और व्यवस्था से है, जो हठ-योग के अभ्यास के परिणाम स्वरूप प्राप्त होती है। शुद्धिकरण की 6 तकनीकें हैं जो षट्-कर्म या षट्-कर्म क्रियाओं के नाम से हठ-योग से संबंधित मानी जाती हैं। पश्चिम में, आसन और प्राणायामों का हठ-योग के साथ सामान्य संबंध मान लिया जाता है। वे वास्तव में राज-योग का भाग हैं।

सावधानी :
यहां वर्णित सभी तकनीकों का प्रारंभ में अभ्यास "दैनिक जीवन में योग" शिक्षक के मार्ग-दर्शन में ही करना चाहिए।