प्रारंभिक स्थिति :
वज्रासन।

ध्यान दें :
पूरे शरीर पर।

श्वास :
शारीरिक क्रिया के साथ समन्वित और इसी स्थिति में सामान्य श्वास।

दोहराना :
3 बार

अभ्यास :
वज्रासन में बैठें। > पूरक करते हुए घुटनों पर बैठ जायें। रेचक करते हुए हाथों को फर्श पर कंधों के नीचे रखें। पंजों को नीचे से मोड़ लें और नितम्बों को ऊंचा उठायें। टांगें सीधी हैं और वजन हाथों पर और पैरों की पिंडलियों पर है। नाभि की ओर देखें। > सामान्य श्वास के साथ इसी स्थिति में यथासंभव सुविधानुसार बने रहें। > पूरक करते हुए घुटनों के बल वापस आ जायें। > रेचक करते हुए प्रारंभिक स्थिति में लौट आयें।

लाभ :
यह सारे शरीर को ताजगी देता है और बाजू, टांग और पीठ की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है। यह सिर की ओर रक्तापूर्ति बढ़ाता है। यह संचरण तंत्र को नियमित करता है और शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है। यह नितम्ब संबंधी समस्याओं में सहायक है।

सावधानी :
इस आसन को उच्च रक्तचाप, चक्कर अथवा कलाइयों में दर्द के समय नहीं करें।

आसन इन निम्नलिखित श्रेणियों में शामिल किया जाता है:
सिर में रक्त संचार बढ़ाने के लिए आसन और व्यायाम
रीढ़ की हड्डी की मांसपेशियों को आराम देने व कूल्हे के दर्द की समस्या को रोकने हेतु आसन और व्यायाम
कंधों और भुजाओं को मजबूत करने हेतु आसन और व्यायाम
पूरे शरीर को सक्रिय करने के लिए आसन और व्यायाम