"एक नन्हे पौधे को विशाल वृक्ष का स्वरूप पाने में समय लगता है,परमात्मा की अनुभूति तब होती है जब आपका समस्त व्यक्तित्व, शरीर का प्रत्येक अंश, आपकी श्वास, आपकी चेतना के प्रत्येक कोने में, विचारों की प्रत्येक चमक में ईश्वर की उपस्थिति हो जाती है।"

"दैनिक जीवन में योग" प्रणाली का प्रथम स्तर "सर्व हित आसन"("सभी के लिये लाभकारी") के नाम से जाना जाता है क्योंकि ये सभी योग-व्यायाम सभी व्यक्तियों के लिए और शरीर के सभी भागों के लिए हितकारी हैं। 'सर्व हित आसन' हमें अपना संपूर्ण कल्याण करने में सहायक होते हैं क्योंकि ये शरीर मन और आत्मा को संतुलित रखते हैं। किसी भी आयु वर्ग का हर व्यक्ति, शरीर की जैसी भी हालत हो, इन आसनों को कर सकता है।

योग द्वारा आप जिस किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हों (स्वास्थ्य, आन्तरिक शांति और संतुलन बनाए रखना, एकाग्रता बढ़ाने की योग्यता, ध्यान या आध्यात्मिक अनुभूति), योग शारीरिक व्यायाम अभ्यासों और श्वास-व्यायाम से प्रारम्भ करना सर्वोत्तम है। ये ही आगे योग अध्ययन के आधार का निर्माण करते हैं। अधिक उन्नत, उच्च व्यायामों का ठोस आधार तैयार करने के लिए आप सही पद्धति से, क्रमानुसार ''सर्व हित आसनों" से प्रारम्भ करें। इस प्रकार आप मूल बात समझ जाऐंगे कि योग व्यायाम सही प्रकार से कैसे करना चाहिए और सही ढंग से श्वास कैसे लेना चाहिए।

शरीर लोचपूर्ण हो जाता है, मांस-पेशियां पुष्ट होती हैं, और इनके द्वारा जोड़ मजबूत हो जाते हैं। ये व्यायाम उस प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपयोगी हैं जो ध्यान लगाने का अभ्यास करना चाहेंगे। योग के सर्वहित आसन मन और नाड़ी तंत्र को शान्त और संतुलित रखते हैं। ये श्वास को गहरा करते हैं और शरीर के अधिक समय तक निश्चेष्ट बैठने की अवस्था में लाकर ध्यान मुद्रा के लिए तैयार करते हैं।

सर्वहित आसनों का अभ्यास कार्यक्रम तीन महीने के लिए होता है। यह छ: भागों में बंटा होता है। इसके प्रत्येक भाग का 6 सप्ताह तक अभ्यास किया जाता है। हर कार्यक्रम में शारीरिक अभ्यास, श्वसन अभ्यास और तनावहीनता अभ्यास किये जाते हैं। इन अभ्यासों के साथ "आत्मजिज्ञासा ध्यान" को भी किया जा सकता है।

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्‍दुःखभाग् भवेत् ॥

सभी सुखी हों,

सभी दु:खों से रहित हों,

सभी समृद्ध हों,

कोई भी दु:खभागी न हो।